Albert Einstein

      Albert Einstein       वैसे तो आप सभी ने अल्बर्ट आइंस्टीन का नाम तो  सुना ही होगा जिन्हें जीनियस के नाम से भी जाना जाता है ।  इनका जन्म 1879 में Germany, wiirttemberg  के एक यहूदी परिवार में हुआ था और उनके पिता एक इंजीनियर तथा सेल्समैन थे अल्बर्टआइंस्टीन को सापेक्षता केे  सिद्धांत E=mc2  के लिए जाने जाते हैं ।  तथा उनको सन 1921 में विज्ञान क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला उन्होंने 300 से ज्यादा वैज्ञानिक पेपर प्रकाशित किया                                                                                                     तो हम  आगे उनके मृत्यु के बाद हुई घटना के बारेे में पढ़ेंगे इसमें कोई शक नहीं की उनका दिमाग बहुत विशेष था इतना विशेष था कि उनकी मृत्यु के बाद उनके ब्रेन को गायब कर लिया गया था जिस डॉक्टर को अल्बर्टआइंस्टीन के डेड बॉडी को चेक करने का काम दिया गया था ।  उसी ने आइंस्टीन की डेड बॉडी से उनका बेशकीमती दिमाग चुरा लिया था उस डॉक्टर का नाम था Thomas stoltz harvey.                                                                                                 आइंस्टीन की अंतिम इच्छा यह थी कि उनकी मृत्यु के बाद उनके शरीर को जला कर उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाए तथा उनकी राख को इधर उधर बिखेर दिया जाए वह नहीं चाहते थे कि उनकी बॉडी पर कोई भी रिसर्च करी जाए परंतु थॉमस हार्वे ने प्रेस्टन हॉस्पिटल में उनके मृत शरीर का निरीक्षण करते समय उनका दिमाग गायब कर दिया ।  तथा इस बारे में थॉमस हार्वे ने आइंस्टीन के परिवार से परमिशन भी नहीं ली तथा जब यह बात सबके सामने आई तो थॉमस हार्वे ने किसी तरह आइंस्टीन के बेटे को मना लिया।  और उससे कहा कि उनके पिता के ब्रेन की जांच की जाएगी  जिससे की आने वाले समय में science और scientist को इससे कुछ लाभ मिल सके।                                                                                                                 कुछ समय पश्चात जब थॉमस हार्वे की हॉस्पिटल की नौकरी चली गई तो वे आइंस्टीन के ब्रेन को लेकर Philadelphia  चले गए तथा थॉमस हार्वे ने आइंस्टीन के ब्रेन को  दो जार में रखकर उन  जारों को  एक तहखाने में रख दिया । जिसके कारण थॉमस हार्वे की पत्नी ने उनको बहुत समझाया  परंतु थॉमस हार्वे ने अपनी पत्नी की बात नहीं मानी।  तथा फिर थॉमस हार्वे आइंस्टीन के ब्रेन को लेकर mitves  चले गए और wichita kansas में  एक biological testing lab में  मेडिकल सुपरवाइजर की नौकरी कर ली तथा कुछ दिन यहां गुजारने के बाद थॉमस हार्वे विस्टेंन  मिसौरी चले गए।  और वहां पर उन्हें जितना भी वक्त मिलता वह आइंस्टीन ब्रेन की  study करते थे।                                                                                               पहले डॉक्टरों को एक एग्जाम देना पड़ता था जिससे कि यह पता चलता कि वह एक डॉक्टर के लायक हैं या नहीं।  पर डॉक्टर थॉमस हार्वे को  आइंस्टीन ब्रेन में बिजी रहने के कारण वे इस एग्जाम में फेल हो गए तथा अपना लाइसेंस खो बैठे फिर वह लॉरेंस कंसास  चले गए।  वहां पर उन्होंने एक  poet  जिनका नाम विलियम वर्ड्स था।  उनके साथ थॉमस हार्वे ने दोस्ती कर ली थॉमस हार्वे ने विलियम वर्ड्स को बताया कि उन्होंने आइंस्टीन के ब्रेन के  छोटे-छोटे टुकड़ों को दुनिया के कई हिस्सों में रिसर्च के लिए भेजा है।                                                                                                 सन 1985 में थॉमस हार्वे  California में थे।  तथा इन्होंने जितनी भी अब तक आइंस्टीन ब्रेन की स्टडी की थी उसे उन्होंने पब्लिश करवा दिया और बताया कि आइंस्टीन ब्रेन में जो दो तरह की कोशिकाएं थी  यानी कि न्यूरॉन्स और gilia  उसका अनुपात बहुत असामान्य था।  तथा उसके बाद अनेकों बार रिसर्च हुई उसमें भी यही बताया की आइंस्टीन के ब्रेन की कोशिकाएं और लोगों से बिल्कुल अलग थी तथा यह भी बताया की आइंस्टीन ब्रेन से पता चलता है कि हमारा ब्रेन किन कारणों से इतना कमजोर है।